बढ़ी ही जा रही है ये न जाने कैसी आग है, न चैन भी न करार है तू भोर है या रात सी बढ़ी ही जा रही है ये न जाने कैसी आग है, न चैन भी न करार है तू भोर है या रात ...
दो ज़िस्म एक, चारों ओर ताप , बँधन से परे, प्यार एक एहसास। दो ज़िस्म एक, चारों ओर ताप , बँधन से परे, प्यार एक एहसास।
क्योंकि आया बसंत है। क्योंकि आया बसंत है।
इसलिये ही हर घर के किवाड़ में, दिखता है सिर्फ़ एक ही पल्ला ! इसलिये ही हर घर के किवाड़ में, दिखता है सिर्फ़ एक ही पल्ला !
सावन के मौसम में कवि को अपनी प्रियतमा की याद आती है और वे उससे मिलने के लिए बेताब हो उठते हैं। वे उ... सावन के मौसम में कवि को अपनी प्रियतमा की याद आती है और वे उससे मिलने के लिए बेत...
मेरे कुछ दोस्त जो आज कल रोज मिला करते हैं, कुछ दिन न मिलने पर कुछ अनहोनी से डरते हैं मेरे कुछ दोस्त जो आज कल रोज मिला करते हैं, कुछ दिन न मिलने पर कुछ अनहोन...